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शेर से बडा कुकुर – (भोजपुरी लघु काहानीः गोविन्द दुबे)

एगो गाँवमे बहुते धनिमनी जमिनदार रहलन । ऊ अपना के शेर कहत रहलन । एहिसे उ एगो शेर भि पोसले रहलन जेकरा के देखे खातिर दुर दराज से बहुते लोग आवे । जमिनदार रोज आपन शेरके गोस किनके खियावस । शेर के चलते उनकर शान गाँव–गाँवतक फैलल रहे । इ शेर के चलते जमिनदार बहुते खुश रहलन ।

उहे गाँवमे एगो बहुते मामुलि गरिब आदमी भि रहे । उ आपन शौख पुरा करेला एगो कुकुर पोसले रहे । गरिबी के चलते उ आपन आ कुकुर के भि पेट निमन से भरे ना सकेला । कुकुर के पोसे खातिर उ दुसराके घर से माग के भि जेनतेन करके काम चलावेला ।

एक दिन जमिनदार आपन शेरके तरह तरह के मास खियावत खियावत कंगाल हो जाला । भुख से खिसियाइल शेर पिजडा तुरके आपन मालकिन पर हि टुटपडेला । सबलोगनमे भागा भाग लागजाला । सगरो लोग शेर से आपन प्रान बचावेके फेरमे भागेलागल । केहु जमिनदारनके बचावे जाएके हिम्मत करे ना सके । अपने आपके शेर सम्झेवाला जमिनदार भि आपन प्रान बचाके लुका जालन ।

तब उ गरिबके मनमे एगो ख्याल आवेला कि काहेना हमही जाके जमिनदारनके शेर के पंजा से बचाइ ? एहुतरे भि गरिबि से हम मर रहल बानी । हमार प्रान कमसेकम कवनोके काम त लागी ।

आपन मालिक के शेर से हिम्मत से लडल देख के कुकुर भि शेरके उपर आपन बुता मुताबिक टुट पडेला । इ लडाइ देख के आउर लोग के भि हिम्मत आवेला आ सबि मिलके शेरके उपर हमला करेला ।

इ लडाइ मे ऊ गरिब आदमी घायल होजाला, बाकिर ऊ बाहादुरी से लडरहल कुकुर के मौत होजाला ।

शेर के मौत पर जहा सगरो आदमी खुश होखेला उहा बहादुर आ वफादार कुकुर के मौत पर सारा गाँववाला के आँख से लोर चुवे लागेला । पुरा गाँव आ जमिनदारन के आपन जान के जोखिम पर रखके बहादुरी के साथ लडला के चलते ऊ गरिब के मिलके लोग धन्यवाद देवेला आ ओकर सगरो चरचा भि चले लागेला ।


इ काहानी से मिलल सिखः
झुठो के शान से जियला से निमन, लोग के साचो के इन्सानियत से जियल सिकेके चाहिं । आदमी नाम से ना आपन काम से समाजमे बडा होखेला । कभि कभि गाँवघरके कवनो मामुली आदमी भि समय पडला पर बहुत हि बडा काम कर दिखावेला ।

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