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कही एतना बरसत की, उमडल बा बाढ़
इहा लोग तरसत बा, पानी बिन सुखाड़
नहर-पोखरा, नदीया-नाला, ताल-तलईया
सुखी गइले डबरा-डबरी गढ़हा-गढ़हिया
धारा-चापाकल बिसुकी करे सोंय-साँय-2
खाली घईला-डोल, खाली गिल-बोतल जार
सभे लोग तरसत बा पानी बिन सुखाड़
गाछ-बिरिछ, झार-पात, फर-फरहरी
धन्की गइल रोपा सारी, बियावा गइल जरी
दिनवा मे धरती लागेला धीकल तावा-2
फाटी-फाटी भइल बाटे खेत मे दरार
सभे लोग तरसत बा पानी बिन सुखाड़
पशु-पंछी, माल-जाल, हकर-हकर करे
पानी के मछरिया, पकर-पकर करे
नरम-नरम चाम, झोकर गइल सबकर-2
आउल-फिउल मचलबाटे, सगरो हाहाकार
सभे लोग तरसत, बा पानी बिन सुखाड़
जलदी से देईद, मेघ हो अल्लाह मालिक
अइसन बिपतिया से, मांगीले पनाह मालिक
जानी-जानी जे प्रकृति के छेड़नी, उ-2
माफ़ करदीं सारी, गलतीया हमार
सभे लोग तरसत बा, पानी बिन सुखाड़
– अज़मत अली अंसारी,
बीरगंज, पर्सा, नेपाल
Mon. July-24-2024
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