तो किस्सा तब का है, जब ब्रह्माजी के मन में अपने जैसा बेटा करने की ख्वाहिश फूटी. चिंतन करने बैठे तो उनकी गोद में एक बालक प्रकट हुआ और तुरंत ही इधर उधर दौड़ते हुए रोने लगा.
ब्रह्माजी ने उसे रोते हुए देखा तो बोले, क्यूटीपाई क्यों रो रहे हो. बच्चा फड़ाक से बोला- नाम की खातिर. फेमस वाला नाम नहीं, पुकारने वाला नाम. इत्ता सुनना था कि ब्रह्माजी फौरन बोले- टेंशन न लो और न टेसू टपकाओ. तुम्हारा नाम हम रुद्र रखते हैं.
इत्ता सुनते ही न जाने बालक को क्या हुआ. वो कंटीन्यूटी में 7 बार और रोया. ब्रह्माजी को लगा, यार ये ऐसे नहीं मानेगा. उन्होंने फौरन उसी बालक के 7 नाम और रखे. ये 7 नाम थे भव, शर्व, ईशान, पशुपति, भीम, उग्र और महादेव. लगे हाथ ब्रह्माजी ने टोटल आठों के प्लेस, वाइफ और बेटे भी डिसाइड कर दिए. और इनकी मूर्तिया हुईं सूर्य, जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि, आकाश, दक्षिण ब्राह्मण और चंद्रमा. पत्नियां हुईं क्रमश: सुर्वचला, ऊषा, विकेशी, अपरा, शिवा, स्वाहा, दिशा, दीक्षा और रोहिणी.
आगे जाकर रुद्र ने अपने भार्यारुप यानी शिव अवतार में प्रजापति दक्ष की बेटी सती से शादी की.
विष्णु पुराण, आठवां अध्याय
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